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स्वास्थ्य रक्षा क्यों आवश्यक है ?

Pavitrambharat / स्वास्थ्य रक्षा क्यों आवश्यक है ?

निरोगी होना हमारे स्वास्थ्य का प्रमुख लक्षण है. स्वस्थ व्यक्ति ही स्वस्थ और मजबूत राष्ट्र का निर्माण कर सकता है. हमारे देश में स्वास्थ्य सुधार पर अधिक बल दिया जा रहा है | साधारणतया स्वस्थ व्यक्ति का अर्थ होता है, वह व्यक्ति जिसका शरीर स्वस्थ हो, मन एवं मस्तिष्क स्वस्थ हो, परिवार स्वस्थ हो तथा स्वस्थ वातावरण में रहता हो |

किसी भी कार्य को सुचारू रूप से कुशलतापूर्वक करने के लिए व्यक्ति का स्वस्थ रहना अत्यंत आवश्यक है | एक प्रसन्नचित निरोग एवं स्वस्थ व्यक्ति ही किसी भी कार्य को कुशलतापूर्वक सम्पन्न करने की क्षमता रखता है| अतः जीवन की गुणवत्ता को समुन्नत करने के लिए सम्पूर्ण अवस्था जिसमें कार्यकुशलता, शारीरिक स्फूर्ति, मानसिक संतोष तथा सुख चैन पर विशेष बल देने की आवश्यकता है |

आयुर्वेद के अनुसार समग्र स्वास्थ्य का अर्थ सिर्फ बीमारी व दुर्बलता का होना नहीं है, अपितु समग्र स्वास्थ्य व्यक्ति की वह स्थति है, जब वह शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक तथा सामाजिक रूप से भी बेहतर स्थति में हो तथा वह समाज व समुदाय के साथ अपना समायोजन आसानी से कर सके | हाँ यह जरुरी है, कि एक रोगी व्यक्ति को स्वस्थ व्यक्ति नहीं कहाँ जा सकता मगर बीमारी स्वास्थ्य मापन का एकमात्र मापदंड नहीं हो सकता |

इस लिहाज से स्वास्थ्य का अर्थ स्वयं पर ध्यान केन्द्रित करते हुए जीने की अच्छी आदतों को अपनाना है | किसी भी क्षेत्र में व्यक्ति को कामयाब होने के लिए उनकी पहली शर्त है, कि वो पूर्ण रूप से स्वस्थ हो, क्योंकि हेल्थ को हमारी पर्सनालिटी से अलग करके नहीं देखा जा सकता | समग्र स्वास्थ्य एक काल्पनिक स्तर है, वहां पर व्यक्ति अपने आप को पूर्ण रूप से फिट महसूस करता है |

स्वास्थ्य के प्रकार (Types of Health)
  • शारीरिक स्वास्थ्य (Physical health)- यह हमारे शरीर की बाहरी स्थति को दर्शाता है, जिनमें हमारे शरीर की आकृति, देखभाल, कार्य करने का ढंग आदि को शारीरिक स्वास्थ्य के अंतर्गत लिया जाता है | व्यक्ति समय पर भोजन तथा अच्छी नीद तथा स्वास्थ्य की अच्छी आदतों को अपनाकर अपनी फिजिकल हेल्थ में सुधार ला सकता है |
  • मानसिक स्वास्थ्य (mental health)- यह मस्तिष्क तथा सोच से जुडा विषय है | व्यक्ति को सुख दुःख तथा विभिन्न परिस्थतियों में संयमित व्यवहार तथा परेशानी आने पर उनसें निपटने के लिए अच्छे मानसिक स्वास्थ्य का होना जरूरी है | हमें अपनी भावना तथा विचारों को दूसरे के साथ व्यक्त करने की उत्तम स्थति की क्षमता अर्जित करना है | अपने मन की संतुलित स्थति तथा प्रसन्नता व शान्ति से मेंटल हेल्थ को इम्प्रूव किया जा सकता है |
  • बौद्धिक स्वास्थ्य (Intellectual health)- यह मानसिक हेल्थ से जुड़ा है, किसी समस्या अथवा मुद्दे पर अपनी समझ ज्ञान का उपयोग करते हुए संज्ञानात्मक निर्णय लेना तथा रचनात्मक कार्य व सोच के प्रोत्साहित होना बौद्धिक स्वास्थ्य के प्रतीक है | सभी के साथ मिलजुलकर रहने अर्थात बहिर्मुखी स्वभाव से इस क्षमता को कुछ हद तक अर्जित किया जा सकता है |
  • आध्यात्मिक स्वास्थ्य (Spiritual health)– व्यक्ति के निजी मूल्य तथा आदर्श इनमें समाहित होते है | अन्य तरीकों से स्वस्थ रहने के उपरांत भी स्पिरिचुअल हेल्थ के बिना इसे समग्र स्वास्थ्य की श्रेणी में नही गिना जाता है | सही मकसद की तलाश कर सही राह पर चलकर उन्हें पाना आध्यात्मिक स्वास्थ्य की निशानी है |
  • सामाजिक स्वास्थ्य (Social health)– मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, उन्हें सभी के साथ समायोजित होकर रहना पड़ता है | सभी के साथ अच्छे रिश्ते रखकर अपनी सोशल हेल्थ को सुधार जा सकता है. उपर्युक्त सभी प्रकार के स्वास्थ्य रूपों से युक्त व्यक्ति को ही पूर्ण रूप से स्वस्थ (Completely healthy) कहा जाएगा |
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