शरीर को निरोगी बनाए रखने के लिए योग और व्यायाम के साथ – साथ ज्योतिष उपचार शास्त्र को अपनाना भी बहुत ज़रुरी है। स्वस्थ जीवन का अर्थ सिर्फ आरोग्य शरीर से नहीं है, बल्कि मनुष्य के बुद्धि, विवेक, ज्ञान – विज्ञान एवं सामाजिक विकास से है जो की मनुष्य की खुशहाली जीवन की स्थिति को दर्शाता है।
ज्योतिष और आयुर्वेद हजारों सालों से हैं और प्राचीन यूनानियों, मिस्रियों, मिनोअंस और अन्य प्राचीन संस्कृतियों द्वारा उपयोग किया जाता था ताकि व्यक्तिगत स्वास्थ्य में सुधार हो सके। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सभी ग्रह शरीर के किसी न किसी अंग का प्रतिनिधित्व कर उन अंगो को प्रभावित करते हैं जिनसे व्यक्ति के स्वास्थ्य पर पड़ता है और उसी प्रभाव स्वरुप हमें फल प्राप्त होते हैं और स्वास्थ्य का हाल जाना जा सकता है |
ग्रह | संबंधित अंग व पीड़ा |
सूर्य | ह्रदय, दिमाग, पेट, पित्त, पुरुष की दायीं व स्त्री की बायीं आँख, घाव, जलने का घाव, रक्त प्रवाह में बाधा |
चंद्रमा | पुरुष की बायीं व स्त्री की दायीं आँख, शरीर के तरल पदार्थ, रक्त, छाती, दिमागी परेशानी, महिलाओं में मासिक चक्र की अनिमियतता |
मंगल | नाक, माथा, जानवरों द्वारा काटना, दुर्घटना, मांसपेशी, लिंग, योनि, आपरेशन, उच्च रक्तचाप, पित्त की थैली, गर्भपात |
बुध | विचारों का परिवर्तन, गले, नाक, कान, फेफड़े, श्वसन तंत्र, जुबान, बुरे सपनों का आना, शरीर के बाल, वाणी, हाथ, बाहें |
गुरु | यकृत, शरीर में चर्बी, मधुमेह, कान |
शुक्र | चेहरा , मूत्र में जलन, शरीर का रंग , गुप्त रोग, आँख, आँतें, गला, गुप्तांग, मूत्राशय में पथरी |
शनि | हड्डिया, जोड़, दांत, घुटने, ग्रंथिया, पंजे की नसे, लसीका तंत्र, लकवा, उदासी, थकान |
राहु | हड्डियाँ, ज़हर, सर्प दंश, बीमारियाँ, डर |
केतु | हकलाना, पहचानने में दिक्कत, आँत, परजीवी |
महिला व पुरुष के स्वास्थ्य के विषय में ज्ञान प्राप्त करने के लिए परिसर ऋषि द्वारा रचित सुदर्शन सिद्धांत के अनुसार लग्न भाव से अध्ययन करके जातक की शारीरिक रूप – रेखा, ताकत, बुद्धि, स्वभाव, दोष-लक्षण आदि का पता आसानी से लग जाता है। कुंडली के चौथे, छठे, आठवे भाव को शारीरिक स्वास्थ्य के अनुसार प्रधानता दी गई है जो शारीरिक बीमारियों के बारे में बताता है।
इस प्रकार विभिन्न ग्रह की स्थिति, भाव एवं दशा मनुष्य के स्वस्थ्य जीवन को पूर्ण रूप से प्रभावित करते है।
यदि आपको किसी प्रकार की शारीरिक पीड़ा है तो आप उस रोग से संबंधित ग्रह की शांति के उपाय कर सकते हैं।