भारत में आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से निर्मित औषधीयों की जानकारी वैदिक काल से ही परम्परागत अक्षुण्य चली आई है। जड़ी बूटियां मानवीय जीवन चक्र में अहम भूमिका निभाती है | अथर्ववेद मुख्य रूप से आयुर्वेद का सबसे प्राचीन उद्गम स्त्रोत है। वैदिक कॉल में ऋषि-मुनि आश्रमों में रहकर जड़ी-बूटियों का अनुसंधान व उपयोग निरन्तर करते रहते थे और निर्मित औषधियों से जन-जन का उपचार करते थे। इनका प्रभाव भी चमत्कारिक होता था क्योंकि इनकी शुद्धता, ताजगी एवम् सही पहचान से ही इसे ग्रहण किया जा सकता है।
किसी बीमारी की चिकित्सा के लिये जो दवाइयां खाई जाती हैं उसमें आंशिक लाभ तो हो जाता है किन्तु एक अन्य बीमारी का उदय हो जाता है। जड़ी-बूटियों से इस प्रकार के दुष्परिणाम कभी ही प्रकट नहीं होते हैं, बहुत कम व्यय में चिकित्सा हो सकती हैं।
जड़ी-बूटियों का उपयोग उनके सुगंधित और औषधीय गुणों के लिए भोजन, स्वाद, दवा आदि के लिए किया जाता है। जड़ी-बूटियाँ ताज़े या सूखे पौधों के पत्ते या फूल वाले हिस्से की होती हैं, जबकि मसाले सूखे पौधे के अन्य भागों जैसे बीज, पति, छाल, जड़ और फल से बनाए जाते हैं। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के कई औषधीय और आध्यात्मिक उपयोग हैं।