ऐसे करें सावन में महादेव की पूजा
आज 06 जुलाई दिन सोमवार महादेव का महीना है. आज से महादेव का महीना सावन शुरू हो गया है. इस बार सावन महीने की शुरुवात ही सोमवार के दिन से हुआ है. सोमवार भगवान शिव का प्रिय दिन माना जाता है. आज शिव भक्त पहली सावन सोमवार का व्रत रख कर भगवान शिव का जलाभिषेक करेंगे. वहीं, सावन की समाप्ति भी सोमवार के दिन ही हो रही है. सावन महीने की शुरुआत और समाप्ति दोनों ही सोमवार के दिन हो रहा है.सावन भगवान शिव की उपासना का महीना माना जाता है. जो आज से शुरू हो गया है. श्रावण मास के सोमवार बहुत ही सौभाग्यशाली माने जाते हैं. मान्यता है कि सावन सोमवार की व्रत रखने से सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. आइए जानते हैं श्रावण सोमवार व्रत की पूजा विधि, कथा, मुहूर्त और मंत्र…
श्रावण माह में चंद्र देव की पूजा का भी विधान है। दरअसल, सावन का संबंध श्रावण नक्षत्र से है और इस नक्षत्र का मालिक चंद्रमा है. चंद्रमा शिव के शीश में शोभायमान है. श्रावण माह में सूर्य कर्क राशि में होता है जिसके कारण सूर्य पर चंद्रमा की ठंडक शीतलता प्रदान करती है। इस कारण वर्षा भी होती है.
सावन माह में करें सुबह-शाम शिव आराधना
सावन माह में रोजाना सुबह-शाम शिवजी की आराधना करनी चाहिए. इस पावन माह में शिव का जलाभिषेक करें। वहीं अगर विधिवत पूजा नहीं कर पाते हैं तो दीपक अवश्य जलाएं. इस दौरान ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप 108 बार करें. यह मंत्र रुद्राक्ष की माला के साथ करें.
सावन पूजा का महत्व
श्रावण माह में चंद्र देव की पूजा का भी विधान है. दरअसल, सावन का संबंध श्रावण नक्षत्र से है और इस नक्षत्र का मालिक चंद्रमा है. चंद्रमा शिव के शीश में शोभायमान है. श्रावण माह में सूर्य कर्क राशि में होता है जिसके कारण सूर्य पर चंद्रमा की ठंडक शीतलता प्रदान करती है. इस कारण वर्षा भी होती है. इन सब कारणों से सावन में चंद्रमा की पूजा करने से शिवजी भी प्रसन्न होते हैं.
केतकी के सफेद फूल का भूलकर भी ना करें इस्तेमाल
शिवजी को केतकी का सफेद फूल अप्रिय होता है इसलिए भूलकर भी पूजा में इस फूल का इस्तेमाल ना करें. केतकी के फूल को झूठ बोलने की वजह से शाप मिला है.
शिवलिंग पर इन चीजों प्रयोग है वर्जित
शिव पूजन करते समय कभी भी तुलसी के पत्तों का प्रयोग नहीं करना चाहिए. तुलसी के पत्ते भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण को प्रिय है. नारियल का प्रयोग कभी भी शिव जी का पूजन करते समय इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. दरअसल नारियल का संबंध देवी लक्ष्मी से होता है और देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी है. शिवलिंग की पूजा में कभी भी कुमकुम का प्रयोग नहीं करना चाहिए। कुमकुम सुहाग की निशानी है.
इन चीजों से करें भगवान शिव की पूज
भोलेनाथ ऐसे देवता हैं जो मात्र एक लोटा जल चढ़ाने से ही प्रसन्न हो जाते हैं. उनकी पूजा में किसी भी तरह के स्वादिष्ट पकवान और प्रसाद को चढ़ाने की जरूरत नहीं होती है. शिव जी की पूजा में जल, दूध, दही, फूल,बिल्वपत्र, दूर्वा घास, धतूरा और भांग का प्रयोग किया जाता है.
भगवान शिव को ऐसे करें प्रसन्न
भगवान शिव का अभिषेक जल या गंगाजल से किया जाता है, इसके साथ दूध, दही, घी, शहद, चने की दाल, सरसों तेल, काले तिल, आदि कई सामग्रियों से अभिषेक की विधि प्रचलित है. इस समाग्री से जलाभिषेक करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.
इन सामग्री से करें भगवान शिव की पूजा
भगवान शिवजी की पूजा में गंगाजल का उपयोग जरूर करें. शिवजी की पूजा के समय शिवलिंग, माता पार्वती, कार्तिकेयजी, गणेशजी और उनके वाहन नन्दी की संयुक्त रूप से पूजा की जानी चाहिए. शिवजी की पूजा में लगने वाली सामग्री में जल, दूध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृत, कलावा, वस्त्र, जनेऊ, चन्दन, रोली, चावल, फूल, बिल्वपत्र, दूर्वा, फल, विजिया, आक, धूतूरा, कमल−गट्टा, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, पंचमेवा, भांग, धूप, दीप का इस्तेमाल करें.
इस विधि से करें पूरे सावन पूजा
- रोज सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद शिवलिंग पर जल चढ़ाएं. पंचामृत से अभिषेक करें.
- मंत्र ऊँ नम: शिवाय, ऊँ महेश्वराय नम:, ऊँ सांब सदाशिवाय नम:, ऊँ रुद्राय नम: आदि मंत्रों का जाप करें.
- चंदन, फूल, प्रसाद चढ़ाएं. धूप और दीप जलाएं. शिवजी को बिल्वपत्र, धतूरा, चावल अर्पित करें.
- भगवान को प्रसाद के रूप में फल या दूध से बनी मिठाई अर्पित करें. धूप, दीप, कर्पूर जलाकर आरती करें.
- शिवजी का ध्यान करते हुए आधी परिक्रमा करें. भक्तों को प्रसाद वितरित करें.
घर पर ही कर सकते हैं शिवजी का अभिषेक
कोरोना वायरस को लेकर भिड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से मनाही है, जो लोग शिवालय नहीं जा सकते हैं, वे अपने घर में ही शिवलिंग का अभिषेक और पूजन कर सकते हैं. जिसके घर पर शिवलिंग न हो, वह आंगन में लगे किसी पौधे को शिवलिंग मानकर या मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उसका पूजन कर सकते हैं. मिट्टी से शिवलिंग बनाकर पूजन करने को ही पार्थिव शिवपूजन कहा जाता है. ये पूजा शुभ फल देने वाली मानी जाती है.
सावन में शिवलिंग पर क्यों चढ़ाते हैं दूध
सावन माह में लगातार बारिश होती है. इस कारण कई तरह के छोटे-छोटे जीवों की उत्पत्ति होती है. कई प्रकार की विषैली नई घास और वनस्पतियां उगती हैं. जब दूध देने वाले पशु इन घासों को और वनस्तपतियों को खाते हैं तो पशुओं का दूध ही विष के सामान हो जाता है. ऐसा कच्चा दूध पीने से हमारे स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है. इसीलिए इस माह में कच्चे दूध के सेवन से बचना चाहिए. शिवजी ने विषपान किया था, इस कारण सावन माह में शिवलिंग का दूध से अभिषेक किया जाता है.
सावन महीने में पड़ने वाली प्रमुख तिथियां
इस माह में गणेश चतुर्थी व्रत 8 जुलाई को, कामिका एकादशी 16 को, हरियाली अमावस्या 20 को, हरियाली तीज 23 को, विनायकी चतुर्थी व्रत 24 को, नाग पंचमी 25 को, पुत्रदा एकादशी 30 को और रक्षा बंधन 3 अगस्त को मनाया जाएगा. तीज पर देवी पार्वती, चतुर्थी पर गणेशजी, पंचमी पर नागदेवता, एकादशी पर विष्णुजी, अमावस्या पर पितर देवता और पूर्णिमा पर चंद्रदेव की विशेष पूजा की जाती है.
भगवान शिव को चढ़ाएं दूध, धतूरा और बेलपत्र
आज से सावन का महीना शुरू हो गया है. आज शिव भक्त पूजा करने में जुटे है. सावन के महीने में भगवान शंकर का ध्यान लगाकर जो भक्त उनकी आराधना करता है, उनके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और संकटों का सामना नहीं करना पड़ता है. आज शिवालयों में दूध, धतूरा और बेलपत्र चढ़ाएं.
इन बातों का रखें ख्याल…
आज सावन का पहला दिन है. वहीं सावन महीने की पहली सोमवारी भी है. आज भगवान शिवजी की पूजा में गंगाजल का उपयोग जरूर करें. शिवजी की पूजा के समय उनके पूरे परिवार अर्थात् शिवलिंग, माता पार्वती, कार्तिकेयजी, गणेशजी और उनके वाहन नन्दी की संयुक्त रूप से पूजा की जानी चाहिए.
सावन सोमवार का व्रत रखने वाले इस मुहूर्त में करें पूजा
सावन के महीने की शुरुआत कृष्ण पक्ष प्रतिपदा कल यानी 5 जुलाई दिन रविवार को ही सुबह 10.15 से प्रारंभ हो गई थी. लेकिन उदया तिथि के कारण 6 जुलाई, आज सोमवार को पहला दिन माना गया है और ऐसे में सोमवार का व्रत रखने वाले सुबह 9.25 तक अपनी पूजा प्रारम्भ कर दें.
शिव के अन्य प्रभावशाली मंत्र
- ओम साधो जातये नम:।।
- ओम वाम देवाय नम:।।
- ओम अघोराय नम:।।
- ओम तत्पुरूषाय नम:।।
- ओम ईशानाय नम:।।
रूद्र गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विदमहे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्।।
महामृत्युंजय गायत्री मंत्र
– ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्द्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः ॐ सः जूं हौं ॐ ॥
महामृत्युंजय मंत्र
– ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
शिव जी का मूल मंत्र
– ऊँ नम: शिवाय।।
इस मंत्र का जाप करने से हर प्रकार की समस्या से छुटकारा मिलता है.